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गीत : भारतीय जो... ---संजीव 'सलिल'


गीत :
संजीव 'सलिल'
भारतीय जो उसको भारत माता की जय कहना होगा.
सर्व धर्म समभाव मानकर, स्नेह सहित मिल रहना होगा...
*
आरक्षण की राजनीति है त्याज्य करें उन्मूलन मिलकर.
कमल योग्यता का प्रमुदित सौन्दर्य सौंदर्य बिखेरे सर में खिलकर.
नेह नर्मदा निर्मल रहे प्रवाहित हर भारतवासी में-
द्वेष-घृणा के पाषाणों को सिकता बनकर बहना होगा..
*
जाति धर्म भू भाषा भूषा, अंतर में अंतर उपजाते.
भारतीय भारत माता का दस दिश में जयकार गुंजाते.
पूज्य न हो यह भारत जिसको उसे गले से लगा न पाते-
गैर न कोई सब अपने हैं, सबको हँसकर सहना होगा...
*
कंकर-कंकर में शंकर हैं, गद्दारों हित प्रलयंकर हैं.
देश हेती हँस शीश कटाएँ, रण में अरि को अभ्यंकर हैं.
फूट हुई तो पद्मिनियों को फिर जौहर में दहना होगा...
*
******

Comments

  1. जय श्री कृष्ण...आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा...बहुत अच्छा लिखा हैं आपने.....भावपूर्ण...सार्थक

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  2. bahut su-vicharon se bhari aapki rachna aapas mein miljulkar rahne aur deshprem ki bhawana ka alaw jaga rahi hai..
    Nav chetna jagane ke disha mein saarthak pryas ke liye abhar...

    ReplyDelete
  3. देश और समाज में भाई चारा,सहजीवन,संप्रदायिक सौहार्द्र की भावना को परवान चढाती कविता। आभार!

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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