Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


आज दिनांक 28.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-2010 के अंतर्गत उन्नीसवें दिन के कार्यक्रम का लिंक -

तीन दिवसीय प्रथम अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव लखनऊ में ....

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_28.html

यह प्रस्ताव केवल ब्लोगोत्सव-२०१० से जुड़े रचनाकारों एवं शुभचिंतकों हेतु है http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6266.html

मेरा व्यापार, यह अख़बार : डा. सुभाष राय

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_8411.html

राजेन्द्र स्वर्णकार की कविताएँ

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3461.html

समान्तर मीडिया की दृष्टि से कितनी सार्थक है हिन्दी ब्लोगिंग ....... http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_9843.html

मयंक सक्सेना की कविता

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_1140.html

कौन बनेगा वर्ष का श्रेष्ठ ब्लोगर ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4332.html

बागवानी की एक शाम....

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3173.html


utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा