जब मौत बनी दासी हमारी॥
हम उसके हुए अधीन॥
धमा चौकड़ी भूल गए सब॥
न बहकी विपरीत॥
ठाठ बात सब बना रहे॥
मिट गा आज क्लेश॥
नभ से पुष्प बरषा हुयी॥
लीला किये महेश॥
हम उसके हुए अधीन॥
धमा चौकड़ी भूल गए सब॥
न बहकी विपरीत॥
ठाठ बात सब बना रहे॥
मिट गा आज क्लेश॥
नभ से पुष्प बरषा हुयी॥
लीला किये महेश॥
काबिलेतारीफ है प्रस्तुति।.सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है|
ReplyDeletethankyour dimpla jee...
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