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कुछ मुक्तक : --संजीव 'सलिल'

कुछ मुक्तक

संजीव 'सलिल'

दोस्तों की आजमाइश क्यों करें?
मौत से पहले ही बोलो क्यों मरें..
नाम के ही हैं. मगर हैं साथ जो-
'सलिल' उनके बिन अकेले क्यों रहें?.
*
दोस्तों की आजमाइश तब करें.
जबकि हो मालूम कि वे हैं खरे..
परखकर खोटों को क्या मिल जायेगा?
खाली से बेहतर है जेबें हों भरे..
*
दोस्तों की आजमाइश वे करें.
जो कसौटी पर रहें खुद भी खरे..
'सलिल' खुद तो वफ़ा के मानी समझ-
बेवफाई से रहा क्या तू परे?

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

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