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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


ब्लोगोत्सव-२०१० : यह सच है कि बार-बार हार-हार मैं गया !


हिन्दी ब्लोगिंग का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है :जी० के० अवधिया

ब्लॉगिंग को परिवर्तन के हथियार के रूप में ढालने की ज़रूरत है....प्रमोद ताम्बट

स्मृतियों की किताब के पन्ने पलटते हुए

मशहूर शायरा अमृता प्रीतम जी के विचारों से आपको रूबरू करा रही हैं रश्मि प्रभा

अपनी बात : समकालीन हिंदी काव्य की दिशा-दशा पर

संगीता सेठी की कविता

संगीता स्वरुप की एक कविता

ब्लोगोत्सव-२०१०: आज इरफ़ान का कार्टून और श्रेष्ठ पोस्ट

utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा