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ये इक्कीस वीं सदी का भारत...........


ये इक्कीस वीं सदी का भारत...........
पहले 'सतर' के पदापर्ण में कोई
'आउट ऑफ़ डेट'..कहलाता था
पर आजकल ..हम तो
चालीस ..में ही अनफिट और नो गारंटी
शीर्षक से नवाजे गए
फिर भी कोई अफ़सोस नहीं
कंप्यूटर वाला
ये इक्कीस वीं सदी का भारत है
यहाँ थक के बैठ जाना
बहुत महंगा पड़ेगा ...
ये इंसान को क्या हो गया
एक ख्वाब था वो कहाँ खो गया
क्यों आज हर शक्स मशीनी हो गया
वो निस्वार्थ प्रेम कहाँ खो गया
क्यों ये मन बेबसी की चींखे मरता है
किसी के तीखे शब्दों से
घायल हो जाएगी फिर से इंसानियत
मन में क्यों उठता है सुनामी सा तुफ्फान
मन की बातो से रात ढलेगी
फिर से मन ही मन कोई कविता चलेगी
एह आज की पीढ़ी के सुपर मानव ....
दर्द देख तू मानवता का धरा पर
हो सके तो बन जा तू भी 'नेह्दूत'
अपने ज़मीर के धरातल पर
( कृति ...अंजु....अनु...)

Comments

  1. bahut khoob anuradha ji..badi hi acchi rachna

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  2. bahut sunder likha hai ...har ek alfaaz me apni khasiyat hai anju ji....really touching
    best regards
    aleem azmi

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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