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अब भी कोई संताप नहीं..

हमको उनसे भी कोइ शिकायत नहीं॥
जिसने दिल को मेरे तोड़ के रख दिया॥
दिल हमने दिया ये खता थी मेरी॥
मेरे जीवन के खुशियों में गम भर दिया॥
याद करते है अब याद आयेगे कल॥
मेरी हालत को देख मुस्कराए गे वे॥
कंचन बगिया को मेरी जो गर्द कर दिया॥

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा