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मैं क्यूँ आजाद हूँ

मैं क्यूँ आजाद हूँ

सचमुच आज कल सुबह से उठ के सिर्फ येही एक बात मेरे और शायद कई युवाओं के मन मे आती है ! शायद मैं इसलिए आजाद हूँ की मैं चिंता करूँ की क्या माय नेम इज खान देखनी चाहिए या नहीं .........मैं इसलिए आजाद हूँ की मैं चिंता करूँ की शाहरुख़ खान , क्या सच्चे हिन्दुस्तानी हैं या बाला साहेब सच्चे .......... मैं चिंता करूँ की क्या आई पी एल अछे से संपन्न हो पायेगी या नहीं ............. मैं चिंता करूं की क्या श्री गाँधी मुंबई और आजमगढ़ मे सुरक्षित घूम पाएंगे या नहीं .............

शायद मुझे इस सब बातों की कोई चिंता नहीं है ......... मेरी सिर्फ एक परेशानी है की क्या सचमुच हम आजाद है ......... हम आजाद हैं की सरे नियम कायदे किनारे कर के अपने मन मर्जी का कार्य कर सके .............. हम आजाद हैं की हमें १०० बार सोचना पड़े की महाराष्ट्र जाना सुरक्षित है या नहीं .......... हम आजाद हैं की हमें कुछ गुंडे - बदमाशों को महान कहना पड़े ...........और बहुत कुछ

मतलब सिर्फ इतना सा है की मुझे ज्यादा चिंता है पेट्रोल के दामों की ........ घटती हुई नौकरियों की ......... बढती हुई जनसँख्या की ............. साफ़ सुथरे देश की ........... खान , शुक्ल , नारायण , बेदी , जॉन , रसिक भाई कीस धर्म से हैं मुझे चिंता नहीं है ......ये भारतीय हैं की नहीं मुझे ये चिंता है .............. मुझे चिंता कसाब और अफजल गुरु को लेकर भी है .....की कब इन्हें सजा मिलेगी ....... शायद मेरे नाती पोते नुझे ये खबर दें की ........ चूँकि कसाब ३५ सालों से महाराष्ट्र की जेल मे बंद है इसलिए ............ शिव सेना और मनसे ने मांग की है की वो भी अब महार्श्त्रियन है और उसे अब सजा नहीं देना चाहिए .............. बस और कुछ नहीं क्यूंकि ......... टाइम हो गया है ..... मुझे जाना है ज्योति सिनेमा .......सिर्फ ये बताने की मेरा विश्वास सिर्फ भारत सरकार और संविधान पे है और उन्ही के नियम मैं मानने को बाध्य हूँ ............... किसी मानसिक बीमार वृद्ध मराठी की गुलामी नहीं कर रहा हूँ ........... जय भारत और सिर्फ जय भारत

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा