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लो क सं घ र्ष !: डी.आई.जी पुलिस की जवाँमर्दगी

राजधानी लखनऊ में प्रदेश के राज्य कर्मचारी शिक्षक अपनी मांगो के लिए प्रदर्शन कर रहे थे जिसपर लखनऊ पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठियां गोलियां चलायीं, सरकारी कार्यालयों में घुसकर लोगों को पीटा गयाडी.आई.जी लखनऊ को जवाँमर्दगी दिखाने के लिए नहीं मिला तो वह निहत्थी महिलाओं के ऊपर लाठियां चलाने लगे पुलिस ने अनावश्यक रूप से राज्य कर्मचारियों शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया आंसू गैस के गोले छोड़े हवाई फायरिंग कीजवाहर भवन इंदिरा भवन सहित दर्जनों सरकारी कार्यालयों में घुसकर लाठी चार्ज किया
शांतिपूर्ण कर्मचारी शिक्षकों के ऊपर प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज उनके बब्बर चरित्र को दर्शाता हैराजधानी में निहत्थी महिलाओं के ऊपर बेशर्मी के साथ लाठीचार्ज करना यह बताता है कि पुलिस का माननीय उच्चतम न्यालय के दिशानिर्देश कानून संविधान में कोई यकीन नहीं हैयह सब ब्रिटिश युग के गुलाम मानसिकता वाले सरकारी तंत्र हैंऊँचे ओहदों पर बैठे हुए लोग अपने को सर्वशक्तिमान समझते हैं वह यह समझते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं कर सकता है इसीलिए डी.आई.जी पुलिस लखनऊ को जब पीटने के लिए कोई नहीं दिखा तो वह औरतों पर अपने हाथ में लाठी लेकर मार पीट करने लगेप्रशासन ने समझदारी से कार्य लिया होता तो राज्य कर्मचारियों शिक्षकों के ऊपर लाठी चार्ज करने की कोई आवश्यकता नहीं थीआज जरूरत इस बात की है कि प्रशासन के ऊपर ऊँचे ओहदे पर नियुक्त बीमार मानसिकता वाले लोगो की छँटनी की जाए

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा