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अब देर न कर रूठन वाले॥

रूठ कर क्यों बैठे हो टूटे दिल॥
हमसे भी ज़रा तो बात कर ले॥
सूखा है समुन्दर तपिस बढ़ी॥
हे मेघ ज़रा बरसात कर दे।
हरियर क्यारी हो जायेगी॥
कलियों का खिलाना जारी होगा॥
भवरे भी मचलते आयेगे॥
हे यार अब उपकार कर दे॥
हम आस लगाए बैठे है कब से॥
तुम मांग सजाओ गे मेरी॥
सोलह सिंगर जब कर निकालू॥
सकुचा जाएगी समय घडी॥
अब देर न कर रूठन वाले॥
थोड़ी से मुस्कान दे दे॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा