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लो क सं घ र्ष !: धोबी, पासी, चमार, तेली खोलेंगे अँधेरे का ताला

महाप्राण निराला के जन्मदिन के अवसर पर लोकसंघर्ष परिवार का शत्-शत् नमन
image source: google search

जल्द -जल्द पैर बढाओ , आओ-आओ
आज अमीरों की हवेली , किसानो की होगी पाठशाला
धोबी, पासी, चमार, तेली खोलेंगे अँधेरे का ताला
एक पाठ पढेंगे, टाट बिछाओ

सूर्य कान्त त्रिपाठी 'निराला'

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा