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नया वर्ष मंगल मय हो,,

नयी उमंगें नयी लालशा ॥
नयी ज्योति जलाएगा॥
आने वाला नया साल॥
हर पल खुशिया लाएगा॥
छू लोगे नीले अम्बर को॥
नया इतिहास रचाओगे॥
तेरी धुन पर नाचेगी दुनिया॥
खुद महान बन जाओगे॥
हर कार्य संभव होगा॥
जन जन ख़ुशी लुटायेगा॥
धन दौलत से भरे खजाना॥
उत्तम कर्म साकार होगा॥
संकट की परछाई पड़े न॥
उपवन भरा विहार होगा॥
मोर पपीहा कोयल बोले॥
नटखट पवन नचाएगा॥

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा