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हिन्दी , हिन्दुस्तान का यही तो दर्द है, दोहरी चाल ----डा श्याम गुप्त

---अब आप युवा कांग्रेस में भरती होने के इस विज्ञापन के फ़ार्म को देखिये --निर्देश संख्या १ पर है---आवेदन पत्र को केवल अंग्रेज़ी में भरें , और अंत में निर्देश ५ है कि आप हिन्दी भाषा में भी भर सकते है | अब केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी ( जो देश में अधिकतम समय सत्तासीन रही है )के युवा सदस्यता का मापदंड ही दोहरा है | हिन्दी भाषा तो निचले पायदान पर ही है, तो फ़ार्म तो सिर्फ़ अंग्रेज़ी मेंही भरना है क्योंकि ये युवा नेता वास्तव में तो अंग्रेज़ी में ही खाते, पीते, उठते ,बैठते,पढ़ते लिखते हैं , हिन्दी तो बस गाँव की जनता को दिखाने को ही बोलते हैं, हिन्दी का नाम तो बस लीपी-पोती है | क्या आशा-अपेक्षा करे देश व जनता व भविष्य - एसे युवा नेता,एसे युवाओं , युवाओं की पार्टी , मुख्य पार्टी,व सरकार से ??
-----हम सब सोचें , विचारें --क्या होगा हिन्दी का ?????!!!!!

Comments

  1. ये तो अच्छा है सर कि ६ नंबर का पॉइंट लिखना भूल गए।वर्ना लिखा होता कि आप फार्म भले हिंदी में लिख सकते हैं पर पढ़ा वो अंगरेजी में ही जाएगा । क्योंकि न तो लिखने वालों को हिंदी लिखनी आएगी और न पढने वालों को हिंदी पढनी । बहुत अच्छी प्रस्तुति बधाई स्वीकारें ।

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा