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नाजुक कली..

पल्लू का पट मत गिरने दे॥
खिल जाये गी नाजुक कलियाँ॥
यौवन का रस गिर जाएगा॥
पड़ जायेगी हथकडिया॥
सिमट जायेगी सागर की गंगा॥
मन कुंठित हो जाएगा॥
अश्रु की बूंदे टपकेगी॥
जीवन बन जाएगा छलिया॥

हठी ठिठोली का दिन कर लो॥
चढ़ जाओ उस प्यारे पथ पर॥
जिस पथ पर सब चढ़ नही सकते॥
सूनी हो जायेगी जीवन की गलिया॥

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा