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ग़ज़ल

उनसे नज़रें मिली और दिल चार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
अब तो बेकरारी छाने लगी हर वक्त
यह समझ कर की अब फिर सिलसिले मुलाकात हो
यह सोच कर उनपर दिल निसार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।
यह सिर्फ़ मोहब्बतें अलफ़ाज़ है और कुछ नही
यह सिर्फ़ धोखा है निगाहों का और कुछ नही
कैसे मैं इस खेल में गिरिफ्तार हो गया
यूँ लगने लगा हमको उनसे प्यार हो गया ।

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा