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जबाब दो ........


जबाब दो .........

ओ दुनिया वालो .....ओ दुनिया वालो
छोटे से सवाल का ,जुल्म के फैले जाल का ,
इंशा के इस हाल का ,जबाब दो !ओ दुनिया वालो
हाथो में हथियार क्यो -देशो में दिवार क्यो ?
टुकडो में संसार क्यो ,जबाब दो !ओ दुनिया वालो
मुल्को में तकरार क्यो -जलता ये संसार क्यो
हर मजहब बीमार क्यो ,जबाब दो !ओ दुनिया वालो
प्यार की बोली भूल गए सब -चलन चला है गोली का
हर दमन पर लगा हुआ है -रंग खून की होली का
कोई मुझको यह तो बता दे -इतना अत्त्याचार क्यो
नही दिलो में प्यार क्यो ,जबाब दो !दुनिया वालो
बारूदों की बरसातो घायल रोतीहै
गोली चाहे चले जन्हा पर -माँ की ममता रोती है
उजड़ गए उन सभी घरो की -कहा गई आबादिया !
बच्चो की किल्कारिया ,जबाब दो ..ओ ...............
बहन खोजती है भाई को -माँ से बिछुड़ा लाल है
सूनी मांग पर सिसकी लगाती -दुल्हन का यह हाल है
शहर बना है मरघट जैसा ,हर बस्ती बेहाल है !!
बरिष्ठ पत्रकार कवि" श्री दयाराम अटल "के प्रथम काव्य संग्रह "जबाब दो "से साभार ...............

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा