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जनता के पैसे पर नेतावो का उत्सव

हैप्पी बर्थ डे "छत्तीसगढ", आज "हमर छत्तीसगढ" ९ साल पूरा कर 10 वे साल में कदम रखेगा. फिर एक बार राजन का परचम लहराएगा, फिर ए़क बार बखानो का पुलिंदा पकडा दिया जायेगा, फिर ए़क बार राज्य के घरो में अँधेरा कर कोठियों को प्रजव्लित किया जायेगा, फिर ए़क बार बाहर से आये महानुभाओं का हम सत्कार करेगे और उपकार सुनेगे, फिर एक बार खेल के मैदानों को गढढो में तबदील कर छोड़ दिया जायेगा, फिर ए़क बार 2.5 करोड़ जनता इसकी तमाश बीन बनेगी. इस तरह आज से छतीसगढ में स्थापना दिवस का ऊलास परवान चढेगा, सात दिन का उत्सव सात करोड़ खर्च और सात महीने से सरकारी कर्मचारी का काम बंद, यही दांस्ता है छग राज्योत्सव की...........
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा