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माँ

माँ से मुझको राहत है
माँ ही मेरी चाहत है ।
माँ ऐसी हस्ती है
जिससे रौशन दिल की बस्ती है ।
माँ ने मुझको पाला है
पाला है और संभाला है ।
दुःख मेरे वोह सहती है
फिर भी खुश रहती है ।
देखकर वोह मुझे जीती है
मेरी बलाएं वोह लेती है ।
माँ के दम से आन है मेरी
माँ के दम से शान है मेरी।

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा