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तुम मोती बन जाओ न..

जब मोती बन के आओगे॥
मै सीप सदा बन जाऊगी॥
अपने सीने के अन्दर यारा॥
तुझको वहा छुपाऊगी॥
कोई ढूढ़ नही पायेगा॥
अपना तुझे बनाऊगी॥
तुम साज़ बनोगे मेरा॥
मै शहनाई बन जाऊगी॥
हे प्रीतम अपने हाथो से॥
तेरा चमन सजाऊगी॥
फूल हंसेगे आँगन में॥
मै उनको गीत सुनाऊगी॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा