जब मोती बन के आओगे॥
मै सीप सदा बन जाऊगी॥
अपने सीने के अन्दर यारा॥
तुझको वहा छुपाऊगी॥
कोई ढूढ़ नही पायेगा॥
अपना तुझे बनाऊगी॥
तुम साज़ बनोगे मेरा॥
मै शहनाई बन जाऊगी॥
हे प्रीतम अपने हाथो से॥
तेरा चमन सजाऊगी॥
फूल हंसेगे आँगन में॥
मै उनको गीत सुनाऊगी॥
मै सीप सदा बन जाऊगी॥
अपने सीने के अन्दर यारा॥
तुझको वहा छुपाऊगी॥
कोई ढूढ़ नही पायेगा॥
अपना तुझे बनाऊगी॥
तुम साज़ बनोगे मेरा॥
मै शहनाई बन जाऊगी॥
हे प्रीतम अपने हाथो से॥
तेरा चमन सजाऊगी॥
फूल हंसेगे आँगन में॥
मै उनको गीत सुनाऊगी॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर