एक बिंदास कवि ने बोला॥
कविता क्या निराली हो॥
मेरे हाथो से लिखी गयी हो॥
लेकिन मुझसे प्यारी हो॥
चुन चुन के शब्दों को ढूढा॥
एक अर्थ बनाया मैंने था॥
सब लोगो की जुबा पे तुम हो॥
पर मुस्कान हमारी हो॥
कविता क्या निराली हो॥
मेरे हाथो से लिखी गयी हो॥
लेकिन मुझसे प्यारी हो॥
चुन चुन के शब्दों को ढूढा॥
एक अर्थ बनाया मैंने था॥
सब लोगो की जुबा पे तुम हो॥
पर मुस्कान हमारी हो॥
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--- संजय सेन सागर