सुबह -सुबह बगिया मा॥
चुगत रहली फूल॥
हंस के माली बोल पडा॥
हमारा का कसूर॥
जब जवानी के पल्लू॥
पे दाग लाग जायी।
अधरा से तोहरे ॥
गिरेला ला मिठाई॥
सोयी जवानी के॥
आस जाग जायी॥
जियरा मा काहे ॥
जगौलू सुरूर॥
लागल जवानी मा ॥
आग लाग जायी..
चुगत रहली फूल॥
हंस के माली बोल पडा॥
हमारा का कसूर॥
जब जवानी के पल्लू॥
पे दाग लाग जायी।
अधरा से तोहरे ॥
गिरेला ला मिठाई॥
सोयी जवानी के॥
आस जाग जायी॥
जियरा मा काहे ॥
जगौलू सुरूर॥
लागल जवानी मा ॥
आग लाग जायी..
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर