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पति पूजा म लीन..

नैहर जब से छूट गवा॥
तब से उपजी ब प्रीत ॥
सोच समझ के चाल चली॥
न दिखा होय विपरीत ॥
मान मर्यादा सब कय समझी॥
सब कय करी सम्मान॥
सूझ बूझ अब साथ है॥
करी नही अपमान॥
प्राताकाल म उठ जायी॥
घर कय करी सब काम॥
पति पूजा म लीनरही॥
बोली न अनाप सनाप॥

Comments

  1. आंख और हाथ का बस इतना फलसफा है।
    समझो तो ठीक वरना हर मौसम ख़फ़ा है।

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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