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सच्चे vachan

निष्ठुर निर्दयी कपटी बन कर॥
धरती पर करते पाप क्यो इतना॥
मानव जीवन सरल नही है॥
इसको खीचो बाधे उतना॥

उपकार करोगे उत्तम जीवन की॥
लय तुम्हे मिल जायेगी॥
तेरी करनी धरनी की गाथा॥
उत्तम प्राकृत गाये गी॥

असहाय और निर्दोष व्यक्ति पर॥
कभी न अत्याचार करो॥
हो सके तो मोटा छोटा॥
थोडा बहुत उपकार करो॥

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा