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आत्महत्या..

मिट्टी के भाव .अपनी जिंदगी गवा रहे है॥
इस पवित्र पावन धरती से रूठ के जा रहे है॥
क्यो करते है आत्म ह्त्या क्या जीने का हक़ नही है॥
मरने के बाद जीने की तरकीब बता रहे है...
संघर्ष ही जीवन है जीना ही चाहिए॥
जीने के साथ गम को पीना ही चाहिए॥
हार मान लेना बुध्मानी नही॥
असफल हो जाना बदनामी नही॥
जाने के बाद आने का रास्ता दिखा रहे है॥

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा