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मत जाना शहरवा॥

मन नही लागे जुदाई में ॥
कहा माना बलामुवा॥
पेट भर गवा बा कमाई से॥
मत जाना शहरवा॥
महला बाटे दुमहला बाटे॥
सोना बाटे चांदी बाटे॥
जान उवे अकेले रजाई में॥
कहा माना बलामुवा॥
विस्तर बाटे कपडा बाटे॥
खाना बाटे पानी बाटे॥
सोहे नही चूड़ी कलाई में॥
कहा माना बलामुवा॥
माई बाटी बाबू बाटे॥
भई बाटे बहिनी बाटी॥
मज़ा आवे तोहरे मितायी॥
कहा माना बलामुवा॥
मन नही लागे जुदाई में ॥
कहा माना बलामुवा॥
पेट भर गवा बा कमाई से॥
मत जाना शहरवा॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा