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गुरू की महिमा ,,शिक्षक दिवस..

गुरू की कृपा महान है॥
जो ज्ञान का पाठ पढाता है॥
अज्ञान- रुपी अन्धकार को॥
जीवन से मेरे हटाता है॥
जला देता है ज्ञान की ज्योति॥
पंक्ति सरल हो जाती है॥
उस गुरुवार की कृपा से॥
ज्ञान की ले मिल जाती है॥
बार बार प्रणाम करू उस गुरुवार को आज॥
विधा रुपी ग्रथ का जो दिया बड़ा उपहार॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा