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बगल वाली बबुनी रोजी मारे ताना॥

जानू कहा हेरानू बैरी भावा ज़माना॥
बगल वाली बबुनी रोजी मारे ताना॥
पूछे सवाल दिल जब॥
अंखिया बहावे आंसू॥
तोहरी फिकर लगी बा॥
तोहरे बात सोचू॥
भावे न खाना पानी॥ सूचय न कौनव तराना॥
पागल बनावे लोग्वय..अम्मा बाबू डाटे ॥
कथरी बिरवे हमका..रतिया लाग काटे॥
कैसे हम पाउब तोहका॥ आवत नही फसाना॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा