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अब तो कुछ तो करिए राम॥

अब तो कुछ तो करिए राम॥
भ्रष्ट हुए दुनिया के अफसर॥
भ्रष्ट करेगे चारो धाम ...........अब तो कुछ तो करिए राम॥
हर चौराहे पाप होत है॥
हर चौराहे लाल सलाम॥
अब तो कुछ तो करिए राम॥
हर दफ्तर में रूपया मांगे॥
हिन्दू हो चाहे इस्लाम॥
अब तो कुछ तो करिए राम॥
बहिन बेटी जब मिले अकेली॥
इश्क का पहले करे आलाप॥
अब तो कुछ तो करिए राम॥
नेता ड्योढी पर जाते ...
चढ़े चढावा गंदा काम॥
अब तो कुछ तो करिए राम॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा