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अभी कठिन है डगर जीवन की॥

हे यार अभी तकरार करो मत॥
प्यार की घुमची खिल जाने दो॥
ये प्यार तुम्हारे साथ रहेगा॥
अभी ज़रा तो इठलाने दो॥
मैअर्पित कर दूगी तन को॥
वह दिन जैसे आहेगा॥
अभी उमर है बचपन वाली॥
मुझे ज़रा तो मुस्काने दो॥
तुम दर पे हमारे आया करो॥
मै देख के तुमको हस दूगी॥
बात करेगे चंचल मन से॥
दिल की बात बता दूँगी॥
अभी कठिन है डगर जीवन की॥
उसे ज़रा तो सुलझाने दो॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा