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स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रचनाएँ आमंत्रित

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ''हिन्दुस्तान का दर्द ''आमंत्रित करता है देश भक्ति से जुडी रचनाओं को! सभी लेखकों एवं पाठकों से अनुरोध है की १४ अगस्त २००९ तक अपनी रचनाएँ mr.sanjaysagar@gmail.com पर प्रेषित करें...
जरुरी नहीं की रचनाएँ अप्रकाशित हो ,पर मौलिक होना आवश्यक है!
अपना जीवन परिचय भी प्रेषित करें!!

आगे पढ़ें के आगे यहाँ f karen kare

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा