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लो क सं घ र्ष !: जीवन है केवल छाया


जीवन सरिता का पानी ,
लहरों की आँख मिचौनी
मेघों का मतवालापन ,
बरखा की मौन कहानी

गल बाहीं डाले कलियाँ,
है लता कुंज में हँसती
चलना,जलना , जीवन है
आहात स्वर में हँस कहती

संसार समर में कोई,
अपना ही है पराया
सम्बन्ध ज्योति के छल में,
जीवन है केवल छाया

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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