Skip to main content

जवानी(अवधी)

चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥
खड़ी अकेली करी ishaaraa ॥
आवा पानी म डूबा॥
पोर पोर म रस भर आवा॥
देहिया ले अंगडाई॥
अबतो उड़े का भागे manwaa॥
बतिया केसे बतायी॥
खडा खडा मुह ताकत बाटेया॥
कैसे कही की हमका लूटा॥
हसी हसी म लार टपके॥
अंखिया भाई बेहाल॥
केहू आय के पकड़ के हमका॥
जम के करत हलाल॥
चढत उमारिया के अन्दर अन्दर॥
लागत जैसे सोता फूटा॥
चढी जवानी झटका मारय
हिले लागे खूंटा॥

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा