गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
मानवता का कभी अंत नहीं होगा! इंसानी फितरत जो आज है,वो सदियों पहले भी थी...! गर achhe इंसान हैं, तो साथ बुरे भी मिलेंगे!ये तो क़ुदरत का नियम है!
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