Skip to main content

दुसरा सिन्दूर सुहाता है॥

पहले वाले में नही रौनक थी॥
मुह से बदबू आता है॥
१०० में ७० तिरियो को॥
दुसरा सिन्दूर सुहाता है॥
मनमौजी जब रह नही पाती॥
छिनछिन पर गुर्राती है॥
मुझको मेरे मइके भेजो॥
सासू से टकराती है॥
पति देव अचरज में पड़ गए॥
अब काला शेर दिखाता है॥
१०० में ७० तिरियो को॥
दुसरा सिन्दूर सुहाता है॥
जब बेटा अपने पथ पर आता॥
माँ बाप का मान बढाता है॥
दर्ज मुक़दमे हो जाते है॥
पगला पीसा jaataa है॥
संबंधो की गाठे खुल गई॥
तब दूजा प्यार दिखाता है,,,

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा