छोटी चिडिया आँगन में आकर॥
चावल के किनके चुगती थी॥
चारो तरफ़ फुदक फुदक के॥
ची ची ची ची करती ही॥
उस समय आँगन में मेरे ॥
अद्भुत शोभा होती थी॥
पता नही क्या कारन है अब॥
शायद चावल में नही मिठाई है॥
कई महीने बीत गए ॥
गौरैया नही दिखाई है॥
चावल के किनके चुगती थी॥
चारो तरफ़ फुदक फुदक के॥
ची ची ची ची करती ही॥
उस समय आँगन में मेरे ॥
अद्भुत शोभा होती थी॥
पता नही क्या कारन है अब॥
शायद चावल में नही मिठाई है॥
कई महीने बीत गए ॥
गौरैया नही दिखाई है॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर