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ग़ज़ल

जी में आए मुझे वोह सज़ा दीजिये
पर मेरी खता पहले बता दीजिये ।
कौन कहता है दवा भी पिला दीजिये
आप जीने की दिल से दुआ दीजिये ।
आप मुलजिम भी आप मुंसफ भी है
सोच कर यह ज़रा फैसला कीजिये ।
आप मेरी हैं मेरी रहेंगी सदा
सारी दुनिया को इतना बता दीजिये ।
जाम मीना सुराही से क्या वास्ता
आप आँखों से अपनी पिला दीजिये ।
बात करती हो मेरी जान ऐसे करो
मत किसी गैर का वास्ता दीजिये ।

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा