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जिंदा रहने की हमको अब चाहत नही.......

जिंदा रहने की हमको अब ...
............चाहत नही.............
जिंदगी ऊब करके ....
........कफ़न दे गयी.........
उसके पल्लू में बंधकरके जायेगे..हम
प्यार की गाँठ जीवन की कब खुल गयी....
याद आयेगे हम तो दुआ मांग लेना॥
हंस के खुशिया का तोह्पा दे जायेगे हम...
बहते बहते न जाने किस धार में...
तेरी जीवन की लयदूसरी मिल गयी...
धोखा खाने के काबिल तो हम थे नही॥
ठीक है जो हुआ भूल जाना उन्हें॥
अपना जीवन सजा के रख लेना तुम॥
तेरे जीवन की दूजी कड़ी दिख गयी॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा