Skip to main content

तेरी दीवानी..

हे साजन तेरे सुहाग में॥
कैसा क्या हूर है॥
जिससे सवार कर मई॥
तेरी दीवानी हो गई॥
तेरी बंदगी को याद कर॥
मई तेरी रानी बन गई॥
तेरे जीवन की प्राण प्रिये॥
राज धानी हो गई॥
जिसमे मचल कर जान मेरी॥
तुम बगिया सजाओ गे॥
उस नव युग की शान के लिए॥
एक नया घर बनाओ गे॥
ऐसी चली बया जो ॥
न जाने कब जवानी चढ़ गई...
हे साजन तेरे सुहाग में॥
कैसा क्या हूर है॥
जिससे सवार कर मई॥
तेरी दीवानी हो गई॥
तेरी बंदगी को याद कर॥
मई तेरी रानी बन गई॥
तेरे जीवन की प्राण प्रिये॥
राज धानी हो गई॥

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा