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ग़ज़ल --जाने कहाँ गए ?

सीधे थे सच्चे सरल थे ,जाने कहां गए ।
कैसे बताएं क्या कहें ,दिल में समा गए।

उनके सभी करम थे, हमारे ही वास्ते ,
क्या क्या न दुःख सुख घात जमाने के भा गए।

प्रेमिल थी हर निगाह थी हर सांस में दुआ ,
लो याद आए अश्रु इन आंखों में आगये ।

सोचा था भूल जायेंगे ,हम साथ वक्त के,
हर वक्त बनके वक्त ,मेरे साथ छागये ।

होकर के दूर भी वो हमसे दूर कब गए,
जब जब भी चाहा 'श्याम हम इस दिल में पागये॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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