कर्म करना धर्म मानते
गर्मी धुप को सहते है॥
तन से आग निकल रही है॥
अपने पथ पर चलते है,,
मन में एक आश झलकती
कब होगा मेरा पूरा काम॥
अपने को अर्पण किए
चलते रहते वीर जवान॥
मरने का डर इन्हे नही है॥
ये है मेरे देश के रक्षक
मिट जायेगे देश के खातिर
नही बनेगे ख़ुद के भक्षक
नाम रखेगे देश का अपने
लड़ते लड़ते मर जायेगे॥
ये वीर जवानो की टोली है,,
जाते जाते कुछ दे जायेगे॥
भारत देश के रहने वाले
इनको तुम प्रणाम करो॥
जान निछवर कर गए है॥
इनको लल्ला सलाम करो॥
गर्मी धुप को सहते है॥
तन से आग निकल रही है॥
अपने पथ पर चलते है,,
मन में एक आश झलकती
कब होगा मेरा पूरा काम॥
अपने को अर्पण किए
चलते रहते वीर जवान॥
मरने का डर इन्हे नही है॥
ये है मेरे देश के रक्षक
मिट जायेगे देश के खातिर
नही बनेगे ख़ुद के भक्षक
नाम रखेगे देश का अपने
लड़ते लड़ते मर जायेगे॥
ये वीर जवानो की टोली है,,
जाते जाते कुछ दे जायेगे॥
भारत देश के रहने वाले
इनको तुम प्रणाम करो॥
जान निछवर कर गए है॥
इनको लल्ला सलाम करो॥
wha ka baath hai..bahut hi aci ek jaargruk soch samaj ke lie..
ReplyDeleteशुक्रिया ..
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
ReplyDeleteआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
19/02/2019 को......
[पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteवीरों को नमन....