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हमको भी याद आती है॥बीती हुयी जवानी॥

हमने भी छुपा राखी है ॥
उसकी दी हुयी निशानी॥
हमको भी याद आती है॥
बीती हुयी जवानी॥
सुंदर स्वरूप था॥
सादगी में ढल गई थी॥
उसकी मुस्कराते॥
मेरी नीव बन गई थी॥
होती थी बात जब जब॥
कर जाती थी नादानी॥
.....................
आती थी पास जब जब॥
सरमाता था जमाना॥
हस्ता था दिल हमारा॥
मई प्रेम गीत गाता॥
उसकी सुरमई आँखे॥
बताती थी मेरी कहानी॥
हमको भी याद आती है॥
बीती हुयी जवानी॥

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा