आज मेरा दिल फ़िर रोया है॥
बीते बातें याद करके॥
वह ठुनक के मुझसे चली गई है॥
मीठा मीठा प्यार करके ॥
उसके इशारे पे चढाते थे॥
गगन की ऊंची चोटी पर॥
मगन जिया उसका रहता था॥
मै मुग्ध था उसकी ठिठोली पर॥
शायद रिश्ता तोड़ गई वह ॥
जीवन से खिलवाड़ करके॥
बीते बातें याद करके॥
वह ठुनक के मुझसे चली गई है॥
मीठा मीठा प्यार करके ॥
उसके इशारे पे चढाते थे॥
गगन की ऊंची चोटी पर॥
मगन जिया उसका रहता था॥
मै मुग्ध था उसकी ठिठोली पर॥
शायद रिश्ता तोड़ गई वह ॥
जीवन से खिलवाड़ करके॥
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--- संजय सेन सागर