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सच का सामना...

सच की पोल जो खोले गे॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
प्रेम रूप की जो नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
लयप्रलय भी सकती है॥
बाढ़ तो पक्का आ जायेगी॥
कड़वाहट की बूंदे टपके गी॥
उथल पुथल सी मच जायेगी॥
छत्ते पे ईट जब मारेगे॥
मधुमक्खी जिंदा खा जायेगी॥

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा