सच की पोल जो खोले गे॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
प्रेम रूप की जो नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
लयप्रलय भी सकती है॥
बाढ़ तो पक्का आ जायेगी॥
कड़वाहट की बूंदे टपके गी॥
उथल पुथल सी मच जायेगी॥
छत्ते पे ईट जब मारेगे॥
मधुमक्खी जिंदा खा जायेगी॥
जीवन की धार हमास जायेगी॥
प्रेम रूप की जो नौका है॥
मजधार में आके रूक जायेगी॥
लयप्रलय भी सकती है॥
बाढ़ तो पक्का आ जायेगी॥
कड़वाहट की बूंदे टपके गी॥
उथल पुथल सी मच जायेगी॥
छत्ते पे ईट जब मारेगे॥
मधुमक्खी जिंदा खा जायेगी॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर