Skip to main content

वफ़ा (ग़ज़ल)

कहानी प्यार की तुमको सुनाना चाहता हूँ
तेरे घर को इन हाथों से सजाना चाहता हूँ
मेरी किस्मत में शायद तू नही है फिर भी सजनी
मैं वादे सब वफाओं के निभाना चाहता हूँ
खुशी मुझसे गुरेज़ा है मगर फिर भी मेरी जान
खिजा के रुत में भी गुलशन खिलाना चाहता हूँ
ज़रा सी देर को समझो मेरी जान मैं तेरा हूँ
दिल को इस हँसी धोके में लाना चाहता हूँ
सितम है मुझसे सब चीन गया लेकिन मैं अब भी
तुमाहरे खवाब आँखों में बसाना चाहता हूँ
मेरी साड़ी तमन्नाएं बेकार जायेगी लेकिन
मोहब्बत सिर्फ़ तुमसे है बताना चाहता हूँ

Comments

  1. सुन्दर प्रयास है, मात्राओं पर ध्यान दें.

    ReplyDelete
  2. मेरी किस्मत में शायद तू नही है फिर भी सजनी
    मैं वादे सब वफाओं के निभाना चाहता हूँ....likhne me chaht jhalkti hai.....

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा