गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
१४ मात्राओं का छद है--दूसरे मेण प्रथम पन्क्ति यों में १५-१५ मात्रायें है, लय टूट्ती है। भाव समुचित ,स्पष्ट नहीं, किसकी हंसीं पर जगती की कुद्रष्टि है।, किस की प्रतिमा ?
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