Skip to main content

ग़ज़ल

जाने वो हमसे क्या ले गए
उनसे नज़रें मिली मिली दिल चुरा ले गए
शायद कहना था उनको कोई बात हमे
एक पड़ोसी से हमारा पता ले गए
अब उनसे इस कदर हो गई है मोहब्बत हमें
वोह शमा के परवाने बना ले गए
क्या कहें उनके इश्क वो दीवाने हम
लाख मन्नत के वोह हमको अपना बना ले गए
अब बन गई हैं वोह हमारी शरीक ऐ हयात
अपने खवाबों की शहजादी हम बना ले गए
जाने वोह हमसे क्या ले गए
उनसे नज़रें मिली और दिल चुरा ले गए

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा