
मै और मेरी ..तन्हायिया........
हर रात का किस्सा है
हर बात का किस्सा है
हर रात की मौत के बाद ..
नयी सुबह की जिंदगी
मे मेरा भी हिस्सा है ..
जीने की इच्छा लिए
हर रात को मै..मरता हूँ
फिर भी कोसो .दूर हूँ
अपने इस जीने से
मै और मेरी ..तन्हायिया
साथ है मेरे ..
दर्द और तकलीफ ...साथ
लिए चलता ..हूँ मै
इन रिश्तो की भीड़
मे...
किसी अपने को
खोजता सा हूँ मै...
क्या कहू..और
किस से कहू
हर पल यही सोचता हूँ ...
चिलचिलाती धूप मे भी
मै एक बूंद पसीने
को भी
तरसता हूँ मै ...........
(कृति ...अनु..(.अंजु )
Nice blog with nice poetry.
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