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लो क सं घ र्ष !: प्रहरी मुझको कर डाला...


लघु स्मृति की प्राचीरों ने,
कारा निर्मित कर डाला ।
बिठला छवि रम्य अलौकिक
प्रहरी मुझको कर डाला ॥

पाटल-सुगंधी उपवन में,
ज्यों चपला चमके घन में।
वह चपल चंचला मूरत
विस्थापित है अब मन में॥

परिधान बीच सुषमा सी,
संध्या अम्बर के टुकड़े ।
छुटपुट तारों की रेखा
हो लाल-नील में जकडे॥

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

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ग़ज़ल

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