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loksangharsha: दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता

दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता -
चेहरों पे तबस्सुम का ये आलम नही होता ।

क्या चीज मुहब्बत है ये हम कैसे समझते -
अश्को से अगर दामने दिल नम नही होता ।

इक वो है की माथे पे हमावत है शिकने-
इक मैं हूँ कि किसी हाल में वह हम नही होता।

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा