गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
Court Ne Kha, Lekin Stithi Isse Ulat Hi Hai. Latiffo M Jaroor Ye Dekha Jata Hai Ki Patni Se Pareshaan Har Pati Hai. Isme Kitni Saccai Hai, Sab Jaante Hain...
ReplyDeleteमतलब जोरू का गुलाम बनने के आलावा को चारा नहीं है
ReplyDeleteमतलब जोरू का गुलाम बनने के आलावा को चारा नहीं है
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